आँखें हमारे शरीर की सबसे अनमोल देन हैं — और बच्चों के लिए तो ये सीखने, पढ़ने और दुनिया को समझने की खिड़की हैं। लेकिन आज की डिजिटल लाइफ़स्टाइल में मोबाइल, टीवी और ऑनलाइन क्लासेज़ के कारण बच्चों की आँखों पर बहुत अधिक दबाव पड़ रहा है। इसलिए, समय-समय पर Children Eye Checkup (बच्चों की आँखों की जांच) कराना बहुत ज़रूरी है।
🧠 बच्चों का दिमाग और आँखें साथ-साथ विकसित होती हैं: शुरुआती 6–8 सालों में बच्चों की दृष्टि (Vision) पूरी तरह विकसित होती है। अगर इस उम्र में कोई दोष (जैसे Lazy Eye या Squint) रह जाए तो आगे जाकर दृष्टि कमजोर हो सकती है।
📱 स्क्रीन टाइम का असर: लंबे समय तक मोबाइल या टैब देखने से बच्चों की आँखों में ड्राईनेस, थकान और धुंधलापन आता है। यह स्थिति बाद में मायोपिया (निकट दृष्टि दोष) का कारण बन सकती है।
📚 पढ़ाई में ध्यान न लगना: कई बार बच्चे ब्लैकबोर्ड या किताबें साफ़ न देख पाने की वजह से पढ़ाई में कमजोर लगते हैं। असल में यह आँखों की समस्या हो सकती है।
टीवी या मोबाइल बहुत पास से देखना
पढ़ते समय आँखें मिचकाना
बार-बार आँखें मलना
बार-बार सिरदर्द होना
तेज़ रोशनी से परेशानी
किसी वस्तु को तिरछी नज़र से देखना
अगर ये लक्षण दिखें, तो तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से जांच करवाना चाहिए।
Precious Eye Hospital, Tonk बच्चों की आँखों की जांच के लिए आधुनिक उपकरणों और अनुभवी डॉक्टरों से सुसज्जित है। यहाँ Dr. Manoj Sharma (AIIMS, New Delhi) और उनकी टीम हर उम्र के बच्चों की दृष्टि की पूरी जांच करते हैं।
Visual Acuity Test (दृष्टि जांच): चार्ट या पिक्चर कार्ड की मदद से बच्चे की दृष्टि की क्षमता मापी जाती है।
Refraction Test (नंबर जांच): यदि बच्चे को चश्मे की ज़रूरत है, तो सटीक नंबर का निर्धारण किया जाता है।
Eye Muscle Test (आँखों की मूवमेंट जांच): स्क्विंट या Lazy Eye जैसी स्थिति का पता लगाया जाता है।
Color Vision Test (रंग पहचान जांच): यह जांच यह देखने के लिए होती है कि बच्चा रंगों को सही पहचान पा रहा है या नहीं।
Dilated Eye Examination (गहरी जांच): ड्रॉप डालकर आँख की अंदरूनी स्थिति (रेटिना, ऑप्टिक नर्व आदि) की जांच की जाती है।
📵 स्क्रीन टाइम सीमित करें: 5 साल से कम उम्र के बच्चों को रोज़ 1 घंटे से अधिक मोबाइल या टीवी न दें।
🌿 आँखों के लिए पौष्टिक आहार: आहार में विटामिन A, C और ओमेगा-3 शामिल करें — जैसे गाजर, पपीता, पालक, बादाम, और मछली।
🧢 बाहर खेलने की आदत डालें: धूप में खेलने से आँखों की फोकसिंग क्षमता बेहतर होती है और मायोपिया का खतरा घटता है।
💧 हाइजीन रखें: बच्चों को बार-बार आँखें मलने से रोकें और हाथ साफ़ रखने की आदत डालें।
🕶️ सनग्लास का उपयोग करें: धूप या धूल से बचाव के लिए UV प्रोटेक्शन वाले चश्मे पहनाएँ।
Precious Eye Hospital, Tonk बच्चों से लेकर वयस्कों तक, हर उम्र के मरीजों के लिए संपूर्ण नेत्र सेवाएँ प्रदान करता है। यहाँ की सुविधाएँ शामिल हैं:
👁️ पेडियाट्रिक आई केयर यूनिट
🧠 Lazy Eye और Squint के लिए थेरेपी
📊 Regular Vision Screening
💡 Advanced Diagnostic Machines
👨⚕️ विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा व्यक्तिगत देखभाल
📍 पता: वसुंधरा एन्क्लेव, सिविल लाइन रोड, मामा भांजा मस्जिद के सामने, टोंक 📞 संपर्क: 977-2204-458
बच्चों की आँखों की नियमित जांच सिर्फ उनकी दृष्टि के लिए नहीं, बल्कि उनके भविष्य के लिए भी बेहद जरूरी है। समय पर की गई जांच से हम स्क्विंट, लेज़ी आई, मायोपिया और एलर्जी जैसी समस्याओं से बच सकते हैं।
इसलिए, अपने बच्चे की आँखों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए आज ही आएँ — 👉 Precious Eye Hospital, Tonk – जहाँ आपकी नन्ही आँखों की देखभाल होती है विशेषज्ञों के साथ। Our Best Blog - Best Eye Care Hospital in Tonk - Click Here डायबिटीज़ और आँखों की समस्या: समय पर जाँच और इलाज क्यों है ज़रूरी - Click here ड्राई आई (Dry Eyes) क्या है? – राजस्थान में बढ़ती आँखों की समस्या - Click here डायबिटीज़ और आँखों की देखभाल: भारत में बढ़ती ज़रूरत - Click here Our Instagram Page - Click Here Our Facebook Page - Click Here